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लेखनी कहानी -26-Nov-2022 वो बदली बदली सी लड़की

जो कभी छुई-मुई हुआ करती थी 
बात बात पर मन ही मन घुटती थी 
घर में ही भेदभाव का शिकार थी 
फालतू सामान की तरह बेकार थी 
"गृहलक्ष्मी" थी पर अधिकारों से दूर 
तानों, उलाहनों के आभूषणों से भरपूर 
मुस्कुराहटों पर ताले जड़े हुए से थे 
समाज की जंजीरों से पैर जकड़े हुए से थे 
वो लड़की अब आसमान में उड़ रही है 
कामयाबी के नित नये सोपान चढ रही है 
उसने हर हाल में मुस्कुराना सीख लिया है 
समाज को उंगलियों पे नचाना सीख लिया है 
मेहनत से उसने एक मुकाम बना लिया है 
प्रेम से दिल का आशियाना सजा लिया है 
उमंगों की मशाल लेकर वह चल पड़ी है 
मुसीबतों के सामने निडर पहाड़ सी खड़ी है 
आसमान से ऊंचे मजबूत इरादे लेकर 
लाज शर्म का रूढिवादी अवगुंठन फेंककर 
फलक पे एक नई इबारत लिख रही है 
वो लड़की अब बदली बदली सी दिख रही है 
वो लड़की अब बदली बदली सी दिख रही है 

श्री हरि 
26.11.22 


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10 Comments

Khan

28-Nov-2022 10:05 PM

बहुत सुन्दर 👌🌺🙏

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Hari Shanker Goyal "Hari"

29-Nov-2022 12:13 AM

💐💐🙏🙏

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Gunjan Kamal

28-Nov-2022 07:20 PM

बहुत खूब

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Hari Shanker Goyal "Hari"

29-Nov-2022 12:13 AM

💐💐🙏🙏

Reply

Rajeev kumar jha

26-Nov-2022 07:47 PM

बहुत खूब

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

27-Nov-2022 08:17 AM

धन्यवाद जी

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